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पगारिया परिवार रायपुर

काव्यमय तीर्थोद्धार की संरचना के समृद्ध आधार
असंख्य श्रद्धालुओं की गहरी आस्था की तपोभूमि श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ के अपने तीर्थोद्धार इतिहास की 35 वर्षीय पड़ाव में अनगिनत श्रावक-श्राविकाओं ने तप-जप की मांगलिकता बिखेरते हुए कदम-कदम पर तन7मन-धनसे सुकृत लाभ लेकर अपने योगदानों का अविस्मरणीय बनाया। वहीं देश-विदेश के श्री संघों, संस्थाओं एवं ट्रस्टों ने जीर्णोद्धार-जीर्णोद्धार संरचना में सहभागिता का उल्लेखनीय अध्याय जोड़ा है।

समर्पित लोकसेवी गजराज मांगीलाल पगारिया
तीर्थोद्धार-जीर्णोद्धार मार्गदर्शक एवं प्रतिष्ठाचार्य, श्री लब्धि-विक्रम गुरुकृपा पात्र प.पू. आचार्य भगवंत श्रीमद् विजयराजयश सूरी. महाराज की प्रेरणा से अपनी सुकृत लक्ष्मी का सदुपयोग करते हुए विश्ववनद्य श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थपति के शिखर पर कायमी ध्वजारोहण का अनुमोदनीय लाभ लिया रायपुर के समर्पित लोकसेवी श्री गजराज पगारिया ने।

सतत जागरित सत्कर्ममय, सेवाशील, जीवन संस्कारों सर्जक मांगीलाल जी सा. पगारिया के घर आँगन की मधुरिमा से तपस्वी आराधिका मातुश्री आराधिका श्रीमति उगमदेवी पगारिया धन्यता में सुपुत्र गजराज जी, सुशीलचंदजी, पुत्रवधु तपस्वी श्रााविका श्रीमति दुर्गादेवी, मीनादेवी, पौत्र-पौत्री प्रियेश-श्रीमति प्रियंका, श्रेयांस, डाॅ. शुभा, श्रेया प्रपौत्र विक्रमादित्य, धार्मिक, सामाजिक सेवा क्षेत्र के गौरवशाली है। इस तीर्थ के संचालक मंडल के बड़े सजीव, चेतनाशील एवं कर्तव्य परायण अध्यक्ष गजराज पगारिया आदर्श मानवता का जीवन जीते हुए अपने कार्यक्षेत्र में सतत गतिशील है।

श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ

तीर्थोद्धार मार्गदर्शक प्रतिष्ठाचार्य