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श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ
अपने श्रद्धालुओं की गहरी आस्था में समर्पण
:: चरण पदुका स्थापना के बाद से शिवनाथ नदी के पश्चिमी तट के श्रद्धालु गाय, भैंस, बकरी का पहला दूध प्रभु के चरणों में चढ़ाते है।
:: किसान अपनी खेती से उपजे अन्न की पहली बाली का गुच्छा चरण पादुका पर चढ़ाते है।
:: वर-वधु के विवाह पूर्व तेल-मेहंदी पादुका पर चढ़ाते हैं।
तीर्थ प्रतिष्ठाचार्य प.पू. आचार्य भगवंत श्रीमद् राजयशसूरी.म.सा. की प्रेरणा से तीर्थ प्रतिष्ठा तिथि माघ सुद 6 सं. 2051 दिनांक 5 फरवरी 1995 से तीर्थ में अक्षुण्ण रूप से अट्ठम तप की आराधना हो रही है।
:: प्रतिष्ठा दिवस से 4 फरवरी 2014, 6935 दिवस में कुल अट्ठम तप
:: संख्या 20805
अवसग्गहरं स्त्रोत के 185 अक्षरों से अट्ठमतपस्वी
.: पू. साध्वी गीत पद्माश्रीजी
.: पू. साध्वी मंजूलाश्रीजी
.: दलपतचंद भंडारी
परम उपकारी कविकुलकिरीट महाबसंत सूरिदेव दिव्य आषीषदाता प.पू. श्रीमद् विजय लब्धिसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ प्रभावक आषीषदाता आचार्य भगवंत प.पू. श्रीमद् विजय विक्रमसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ पति संबंधित दस्तावेजों के साक्षात्कार प.पू.पं. श्रीमद् अभयसागरजी म.सा.
तीर्थोद्धार मार्गदर्षक प्रतिष्ठाचार्य प.पू. आचार्य भगवंत, प्रज्ञापुरुष श्रीमद् राजयशसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थोद्धार मुहूर्त प्रदाता पूज्य पाद आचार्य भगवंत श्रीमद् विजयरामचंद्र सूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ के रचनाकार साधुता के स्वामी प.पू. श्रीमद् कैलाससागर सूरीश्वरजी म.सा.