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श्री पार्श्वनाथ प्रभु की श्रमणकालीन तपोभूमि के तीर्थोद्धार का कल्याणक महामहोत्सव 04 जनवरी 2024 से 07 जनवरी 2024 तक. नगपुरा महोत्सव में आप सभी आमंत्रित हैं |
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:: श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ नगपुरा दुर्ग में आर्थिक सहयोग की जानकारी के लिए पीडीएफ फाइल डाउनलोड करे |
मेला:
तीर्थ में पांच दिवसीय पोष बदी दशमी को वर्षीतप पारना अछय तृतीया को एवं प्रतिष्ठा सालगिरह पर माघ सुदी षष्ठी को दो दिवसीय भक्ति मेला ‘नगपुरा महोत्सव’ के नाम से विख्यात है। उत्सव को देखने लाखों श्रद्धालुओं की भक्ति का सैलाब इस पावन भूमि पर उमड़ पड़ता है।
देवाधिदेव श्री पाश्र्व प्रभु के जन्म-दीक्षा कल्याण अवसर पर तीर्थ में देशभर के हजारों श्रद्धालु अट्ठम तप आराधनार्थ पधारते हैं। तीर्थ परिसर के विशाल भू-भाग नगपुरा महोत्सव (मेला) का आयोजन होता है। 5 दिवसीय आयोजन में अंचल के ग्रामीण स्वस्फूर्त पाश्र्व प्रभु की भक्ति से जुड़ते है। इस अवसर पर परम्परागत आंचलिक संस्कृति के अनुसार लोकगीत-नृत्य-संगीत एवं झांकी साज सज्जा के साथ आत्मिक आनंद से परमात्मा भक्ति में भाव विभोर हो धन्यता का अनुभव करते हैं। .
परम उपकारी कविकुलकिरीट महाबसंत सूरिदेव दिव्य आषीषदाता प.पू. श्रीमद् विजय लब्धिसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ प्रभावक आषीषदाता आचार्य भगवंत प.पू. श्रीमद् विजय विक्रमसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ पति संबंधित दस्तावेजों के साक्षात्कार प.पू.पं. श्रीमद् अभयसागरजी म.सा.
तीर्थोद्धार मार्गदर्षक प्रतिष्ठाचार्य प.पू. आचार्य भगवंत, प्रज्ञापुरुष श्रीमद् राजयशसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थोद्धार मुहूर्त प्रदाता पूज्य पाद आचार्य भगवंत श्रीमद् विजयरामचंद्र सूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ के रचनाकार साधुता के स्वामी प.पू. श्रीमद् कैलाससागर सूरीश्वरजी म.सा.