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काव्यमय तीर्थोद्धार की संरचना के समृद्ध आधार
असंख्य श्रद्धालुओं की गहरी आस्था की तपोभूमि श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ के अपने तीर्थोद्धार इतिहास की 35 वर्षीय पड़ाव में अनगिनत श्रावक-श्राविकाओं ने तप-जप की मांगलिकता बिखेरते हुए कदम-कदम पर तन7मन-धनसे सुकृत लाभ लेकर अपने योगदानों का अविस्मरणीय बनाया। वहीं देश-विदेश के श्री संघों, संस्थाओं एवं ट्रस्टों ने जीर्णोद्धार-जीर्णोद्धार संरचना में सहभागिता का उल्लेखनीय अध्याय जोड़ा है।
सेवापूंज श्रााविका शांताबेन शांतिलाल भूदरमल अदाणी
अहमदाबाद निवासी श्री जिन शासन प्रेम, परमात्म पद सेवक एवं देव-गुरु-धर्म की भक्ति गुणों से संपृक्त श्राविका शांतिलाल, भूदरमल अदाणी ने जिन शासन सेवा क्षेत्र के साथ ही जैनत्व की सार्वजनिनता के वटवृक्ष को सदैव जीवंत बनाए रखा है। फलस्वरुप यह पूरा परिवार आज के गौरव का साक्षी है।
कूद आया सूर्य कन्दुक उधर नभी की ओर छिटक आई इधर भूतल पर सुहानी भोर।
मणि जी बताते है कि उदार वात्सलयता एवं स्नेहिल स्वभावी मातुश्री शांताबेन श्री उवसग्गहरं तीर्थपति के दर्शन-पूजा-अर्चनाकर इतनी अधिक भाव विभोर हो जाती हैं, जो अवर्णनीय है। आपकी प्रेरणा से आपके सुप्रतिष्ठ सुपुत्रों ने प्राकृतिक योग चिकित्सा आरोग्यम् के विकास में अविस्मरणीय योगदान हस्ताक्षरित किया। जन विख्यात जैनत्व की इन पंक्तियों के अदाणी परिवार ने नित नव सेवा संरचना का आधार बनाया। परमात्म भक्ति से ओतप्रोत तपस्वी श्राविका शांताबेन शांतिलाल अदाणी का गुरुभक्ति एवं साधार्मिक भक्ति में स्वभावतः रस था। अध्ययन शील श्रावकवर्य श्री शांतिलाल भाई विद्वानों का बड़ा आदर करते थे। यह धर्मनिष्ठ जोड़ी अपनी प्रबुद्ध मनस्विता के साथ स्नेह और आत्मीयता के गुणों से प्रभावित करती थी।
सार्वजनिनता में छिपे सर्व मंगल मांगलयं, सर्व कल्याण कारणं की उदात्त ‘‘शिव मस्तु सर्व जगतः’’ भावना की अभिवृद्धि में अदाणी परिवार के उद्यमी वरद् सुपुत्रों सर्वश्री महासुखजी अदाणी, विनोदजी अदाणी, बसंतजी अदाणी, गौतमजी अदाणी एवं राजेशजी अदाणी ने अपनी अटूट निष्ठा के साथ सतत योगदान हस्ताक्षरित किया है।
श्री उवसग्गहरं पाश्र्व तीर्थ की तीर्थोद्धार संरचना में प्रारम्भ से ही भक्तिकारक अदाणी परिवार उन्मुक्तापूर्वक जुड़ा हुआ है। जीर्णोद्धार श्री उवसग्गहरं पाश्र्व महाप्रसाद की नींव के मजबूत आधार बनकर जिन शासन सेवा में प्रभावी रुप से यह परिवार अविस्मरणीय बना हुआ है। अदाणी परिवार धार्मिक, आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं व्यवसायिक क्षेत्रों के विकासोन्नयन से जुड़ा हुआ है। मानवीय सेवा के वटवृक्ष की विशाल छाया में अपनी निराली भक्ति से यह परिवार नित-नव रचना का आधार बना हुआ है। सुकृत के सहयोगी इस परिवार ने समाज को निराशा, अवसाद और विफलताओं की कुठाओं से निकालकर एक नई रोशनी दिखाते हुए सफलता का मार्ग भी प्रशस्त किया है।
परम उपकारी कविकुलकिरीट महाबसंत सूरिदेव दिव्य आषीषदाता प.पू. श्रीमद् विजय लब्धिसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ प्रभावक आषीषदाता आचार्य भगवंत प.पू. श्रीमद् विजय विक्रमसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ पति संबंधित दस्तावेजों के साक्षात्कार प.पू.पं. श्रीमद् अभयसागरजी म.सा.
तीर्थोद्धार मार्गदर्षक प्रतिष्ठाचार्य प.पू. आचार्य भगवंत, प्रज्ञापुरुष श्रीमद् राजयशसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थोद्धार मुहूर्त प्रदाता पूज्य पाद आचार्य भगवंत श्रीमद् विजयरामचंद्र सूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ के रचनाकार साधुता के स्वामी प.पू. श्रीमद् कैलाससागर सूरीश्वरजी म.सा.