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चारित्र मंदिर
सत्पुरुषी, सत्कृतियों की संजोए हुए तीर्थ परिसर में लब्धिवंत श्री गौतम गणधर, ओसवंश स्थापक श्री रत्नप्रभ सूरी दादा गुरुदेव मणिधारी जिनचंद्र सुरी, श्रीकुशल सूरी एवं योगीराज श्री शांति सूरी, की प्रतिमाओं से युक्त भव्य दो मंजिला मंदिर का निर्माण कराया गया जो महापुरुषों की गौरवगाथा से श्रद्धालुओं को परिचित कराता है।
This double storied edifice contains the idols of great Jain saints and seers Gandhary and divinely inspired beings like the first Gandhary of Lord Mahaveer as Labhdivant Guru Gautam Swami, Parshwa Gandhar Acharya Ratna Prabha Shri the founder of Oswal clan Dada Gurudev Manidhari Jinchandra Suri Kushal Suri Jaggachandra Suri Vijayanand Suri Arya Rakshit Suri etc. their idols impressively positioned in the first floor.
The impressive statue of Yogi-Samrat (King of Kings amongst yogies) Shrimad Shanti Gurudev occupies the ground floor. These divine intermediaries link the devotees and the Lord and are true source of attaining unification. Relevant bio-graphical briefs are well displayed on marble plates mounted all along the four walls, enlightening the visitors about these great goodly-men.
परम उपकारी कविकुलकिरीट महाबसंत सूरिदेव दिव्य आषीषदाता प.पू. श्रीमद् विजय लब्धिसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ प्रभावक आषीषदाता आचार्य भगवंत प.पू. श्रीमद् विजय विक्रमसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ पति संबंधित दस्तावेजों के साक्षात्कार प.पू.पं. श्रीमद् अभयसागरजी म.सा.
तीर्थोद्धार मार्गदर्षक प्रतिष्ठाचार्य प.पू. आचार्य भगवंत, प्रज्ञापुरुष श्रीमद् राजयशसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थोद्धार मुहूर्त प्रदाता पूज्य पाद आचार्य भगवंत श्रीमद् विजयरामचंद्र सूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ के रचनाकार साधुता के स्वामी प.पू. श्रीमद् कैलाससागर सूरीश्वरजी म.सा.