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सत्पशिखर महाप्रसाद के विस्तार क्रम में श्री ऋषभदेव प्रभु जिनालय तथा तीर्थकर उद्यान में निर्मित श्री महावीर स्वामी कमल जिनालय की प्रतिष्ठा का अविस्मरणीय पल
असंख्य श्रद्धालुओं के गहरी आस्था के प्रतीक श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ में शासनसूर्य ‘सूरिरामचन्द्र’ एवं तपोनिधान ‘सूरिगुणयश’ के नेत्रतारक प्रवचन प्रभावक पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजयकीर्तियश सूरीश्वरजी महाराजा की प्रेरणा से श्री सूरत तपगच्छ रत्नत्रयी आराधक संघ ट्रस्ट-विजय रामचन्द्र सूरीश्वरजी आराधना भवन गोपीपुरा-सूरत ने तीर्थोद्धार विस्तार के क्रम में कलात्मक श्री ऋषभदेव प्रभु जिनालय निर्माण का अनुमोदनीय लाभ लिया।
इस जिनालय में पूज्य आचार्य सुहस्तिसूरिजी म. द्वारा प्राणप्रतिष्ठित एवं सम्राट सम्प्रति द्वारा निर्मितप्रथम प्रतिमा चैबीसीयुक्त श्री आदिनाथ प्रभु की प्रतिष्ठा चैत्र (गुज.फा) बदी 4 गुरुवार 20 मार्च, 2014 को हजारों श्रद्धालुओं के समृद्ध उपस्थिति में परमपूज्य शासन प्रभावक आचार्य देवेश, श्रीमद् विजय कीर्तियशसूरीश्वरजी महाराजा के पावन निश्रा में 37 श्रमण एवं 90 श्रमणिों की विशाल उपस्थिति में सम्पन्न हुई।
इसी दिन तीर्थ के तीर्थकर उद्यान में श्राविका चम्पाबेन जयंतिलाल दानसंुगभाई अजबानी परिवार द्वारा निर्मित श्री महावीर कमल जिनालय का प्रतिष्ठा भी हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ। इस क्रम में पू. आचार्यश्री की निश्रा में तीर्थ प्रबंधन द्वारा पंचान्हिका महोत्सव का आयोजन किया गया था। पूज्यश्री की निश्रा में ही तीर्थ में भोरोल निवासी सुश्री पीनलबेन तथा रामा-कल्याण निवासी सुश्री प्रीतिबेन की भगवती दीक्षा भी सम्पन्न हुई।
परम उपकारी कविकुलकिरीट महाबसंत सूरिदेव दिव्य आषीषदाता प.पू. श्रीमद् विजय लब्धिसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ प्रभावक आषीषदाता आचार्य भगवंत प.पू. श्रीमद् विजय विक्रमसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ पति संबंधित दस्तावेजों के साक्षात्कार प.पू.पं. श्रीमद् अभयसागरजी म.सा.
तीर्थोद्धार मार्गदर्षक प्रतिष्ठाचार्य प.पू. आचार्य भगवंत, प्रज्ञापुरुष श्रीमद् राजयशसूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थोद्धार मुहूर्त प्रदाता पूज्य पाद आचार्य भगवंत श्रीमद् विजयरामचंद्र सूरीश्वरजी म.सा.
तीर्थ के रचनाकार साधुता के स्वामी प.पू. श्रीमद् कैलाससागर सूरीश्वरजी म.सा.